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महाराष्ट्र की राजनितिक नौटंकी - गुरु (ठाकरे ) चेला (शिंदे )

  महाराष्ट्र  में जो भी राजनितिक घटनाक्रम चल रहा है, उसे देख कर कर मुझे यही लगता है कि इसकी सारी पठकथा शिवसेना के द्वारा ही लिखी गई है, जिन्हे ढाई साल बाद ये ज्ञात हो गया है की ना उनकी साख बची है और ना ही हिंदुत्व की वो विरासत जिसकी बुनियाद पे वो राजनीति करते रहे है, जबकि इन ढाई सालो में प्रसासन की मदद से एनसीपी अपनी पकड़ काफी मजबूत कर चुकी है।   शिवसेना उस नेवले की तरह हो चुकी है, जो  छुछुंदर  को ना निगल सकती है और ना ही लील सकती है, तो इस दुविधा से बचने के लिए उन्होंने ये स्वांग रचा है, वरना मुझे नहीं लगता कोई पानी ( मुंबई ) में रह के मगरमच्छ ( ठाकरों ) से बैर लेगा और साथ ही इन ढाई सालों में इन्होने पवार,सोनिया की इतनी  महिमामंडन की है  कि अब ये किस मुँह बोले की गठबन्दन तोडना है।  शिवसेना जिनकी पहचान ही कट्टर  हिंदूवादी  पार्टी की थी, कांग्रेस एनसीपी से हाथ मिलाने के बाद एवं पालघर जैसी घटना होने के बाद उनके इस छवि की बहुत थूथू हुई है।  शायद इन्हे आभास हो गया कि कश्ती डूब रही है और जो भी ये नाटक शुरू हुआ है, शिंदे को मोहरा बना के पर असली  निर्माता निर्देशक शिवसेना ही है, ताकि महाघड़ी को